Akhil Bhartiya Shastrotsavah
Date
2025-03-18
Authors
Journal Title
Journal ISSN
Volume Title
Publisher
Central Sanskrit University
Abstract
Description
This report summarizes the events of the inaugural session of the three-day All India Shastra Festival held on 18 March 2025 at the Central Sanskrit University, Haridwar, in collaboration with Patanjali University. The event commenced with a traditional Vakyartha Sabha (philosophical debate) on the theme “Janikartuḥ Prakṛtaruḥ,” where esteemed scholars like Acharya Devadatta Patil, Brijbhushan Ojha, and others presented deep deliberations from classical disciplines such as Mimamsa, Nyaya, and Advaita Vedanta. The inaugural session was graced by academic leaders, including Professor A. N. P. Singh and Dr. Sandhya Preksha, who emphasized the significance of Sanskrit in contemporary learning, research, and digital sciences. Over two thousand students and participants from across India witnessed cultural programs, scholarly interactions, and felicitations. The festival highlighted the enduring value of Bharatiya Jnan Parampara (Indian Knowledge Tradition) and underscored the need to preserve it through education and innovation.
यह रिपोर्ट तीन दिवसीय अखिल भारतीय शास्त्र उत्सव के उद्घाटन सत्र की घटनाओं का सार प्रस्तुत करती है, जो 18 मार्च 2025 को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार में पतंजलि विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक वाक्यार्थ सभा (दार्शनिक संवाद) से हुई, जिसका विषय था “जनिकर्तुः प्रकृतरुः।” इसमें आचार्य देवदत्त पाटील, ब्रिजभूषण ओझा आदि विद्वानों ने मीमांसा, न्याय और अद्वैत वेदांत जैसे शास्त्रीय विषयों पर गंभीर विचार प्रस्तुत किए। उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर ए. एन. पी. सिंह और डॉ. संध्या प्रेक्षा जैसे शिक्षाविदों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिन्होंने आधुनिक शिक्षा, अनुसंधान और डिजिटल विज्ञान में संस्कृत की महत्ता पर प्रकाश डाला। देशभर से आए दो हजार से अधिक छात्रों और प्रतिभागियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विद्वत् संवादों और सम्मान समारोहों में भाग लिया। इस उत्सव ने भारतीय ज्ञान परंपरा के अमूल्य योगदान को उजागर किया और इसे शिक्षा और नवाचार के माध्यम से संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
यह रिपोर्ट तीन दिवसीय अखिल भारतीय शास्त्र उत्सव के उद्घाटन सत्र की घटनाओं का सार प्रस्तुत करती है, जो 18 मार्च 2025 को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार में पतंजलि विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक वाक्यार्थ सभा (दार्शनिक संवाद) से हुई, जिसका विषय था “जनिकर्तुः प्रकृतरुः।” इसमें आचार्य देवदत्त पाटील, ब्रिजभूषण ओझा आदि विद्वानों ने मीमांसा, न्याय और अद्वैत वेदांत जैसे शास्त्रीय विषयों पर गंभीर विचार प्रस्तुत किए। उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर ए. एन. पी. सिंह और डॉ. संध्या प्रेक्षा जैसे शिक्षाविदों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिन्होंने आधुनिक शिक्षा, अनुसंधान और डिजिटल विज्ञान में संस्कृत की महत्ता पर प्रकाश डाला। देशभर से आए दो हजार से अधिक छात्रों और प्रतिभागियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विद्वत् संवादों और सम्मान समारोहों में भाग लिया। इस उत्सव ने भारतीय ज्ञान परंपरा के अमूल्य योगदान को उजागर किया और इसे शिक्षा और नवाचार के माध्यम से संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।