Akhil Bhartiya Shastrotsav: Ek Garimamay Samapan Samaroh
Date
2025-03-21
Authors
Journal Title
Journal ISSN
Volume Title
Publisher
Central Sanskrit University, New Delhi
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
Abstract
Description
This report summarizes the events of the concluding session of the 62nd All India Shastra Festival. The grand ceremony was held with great enthusiasm and was graced by the Hon’ble Chief Minister of Uttarakhand, Shri Pushkar Singh Dhami, who shared that Uttarakhand is the first Indian state to declare Sanskrit as its official language. Former Union Education Minister Dr. Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’ emphasized the cultural importance of Sanskrit in Devbhoomi. The Vice Chancellor of Central Sanskrit University announced that the next edition of the festival will be hosted in Kanchipuram, Tamil Nadu. A total of 34 competitions were organized during the event, and the winners were felicitated by various dignitaries. Patanjali University expressed interest in sponsoring future events. Important publications like Sadhushabdam Prayunjmahe and Bhojaraj Panchang were released. Yoga Guru Baba Ramdev received the title “Bhartiya Vidya Vaibhav Sarvabhauma.” Over 500 scholars and volunteers participated, reflecting strong dedication to Sanskrit’s future.The event saw participation from over 500 scholars and volunteers, showcasing strong dedication to Sanskrit's revival and bright future.
यह रिपोर्ट अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के 62वें संस्करण के समापन सत्र की घटनाओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करती है। यह भव्य समारोह उत्साहपूर्वक आयोजित हुआ और उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसने संस्कृत को राजभाषा का दर्जा दिया है। पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने देवभूमि में संस्कृत की सांस्कृतिक महत्ता पर बल दिया। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने घोषणा की कि अगले वर्ष शास्त्रोत्सव का आयोजन कांचीपुरम (तमिलनाडु) में किया जाएगा। समारोह के दौरान कुल 34 प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं और विजेताओं को सम्मानित किया गया। पतंजलि विश्वविद्यालय ने भविष्य के आयोजनों में सहयोग की इच्छा जताई। साधुशब्दं प्रयुञ्ज्महे और भोजराज पंचांग जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। योगगुरु बाबा रामदेव को “भारतीय विद्या वैभव सार्वभौम” उपाधि से सम्मानित किया गया। 500 से अधिक विद्वानों और स्वयंसेवकों की भागीदारी ने संस्कृत के उज्ज्वल भविष्य की प्रतिबद्धता को दर्शाया।
यह रिपोर्ट अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के 62वें संस्करण के समापन सत्र की घटनाओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करती है। यह भव्य समारोह उत्साहपूर्वक आयोजित हुआ और उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसने संस्कृत को राजभाषा का दर्जा दिया है। पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने देवभूमि में संस्कृत की सांस्कृतिक महत्ता पर बल दिया। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने घोषणा की कि अगले वर्ष शास्त्रोत्सव का आयोजन कांचीपुरम (तमिलनाडु) में किया जाएगा। समारोह के दौरान कुल 34 प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं और विजेताओं को सम्मानित किया गया। पतंजलि विश्वविद्यालय ने भविष्य के आयोजनों में सहयोग की इच्छा जताई। साधुशब्दं प्रयुञ्ज्महे और भोजराज पंचांग जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। योगगुरु बाबा रामदेव को “भारतीय विद्या वैभव सार्वभौम” उपाधि से सम्मानित किया गया। 500 से अधिक विद्वानों और स्वयंसेवकों की भागीदारी ने संस्कृत के उज्ज्वल भविष्य की प्रतिबद्धता को दर्शाया।